जयन्ती पर याद किये गये होम्योपैथी के जनक डा. हैनिमैन

संवाददाता(बस्ती)। होम्योपैथी के जनक सैमुएल हैनिमैन के 266 वें जयन्ती अवसर पर उन्हें सादगी के साथ याद किया गया। रिसर्च सोसायटी ऑफ होम्योपैथी जिलाध्यक्ष डा. वी.के. वर्मा ने पटेल एस.एम.एच. हास्पिटल एण्ड आयुष पैरा मेडिकल कालेज गोटवा के हाल में सैमुएल हैनिमैन को नमन् करते हुये कहा कि उन्होने मानवता को एक बड़ी पद्धति दिया जिससे करोड़ो लोगों का सहज उपचार हो रहा है। कहा कि कोराना वायरस संक्रमण रोकने में भी होम्योपैथी कारगर है।


डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि  होम्योपैथी सरल, सुलभ और दुष्परिणाम रहित व कम खर्चीली पद्धति है। इन दवाओं से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। होम्योपैथी एक चिकित्सा पद्धति है, जिसके जन्मदाता जर्मनी के डॉक्टर सैमुएल हैनिमैन हैं। उन्हें 1796 में इस पद्धति का विचार तब आया जब वह अंग्रेज डॉक्टर क्लेन कि पुस्तक का जर्मन में अनुवाद कर रहे थे। कहा कि होम्योपैथी मुख्यतः चिकित्सा के ‘समरूपता के सिद्धांत’ पर आधारित है जिसके अनुसार औषधियां उन रोगों से मिलते हुए रोग दूर कर सकती हैं, जिन्हें वे उत्पन्न कर सकती हैं। औषधि की रोग हरने की शक्ति उत्पन्न हो सकने वाले लक्षणों पर निर्भर है। जिसे रोग के लक्षणों के समान किंतु उससे प्रबल होना चाहिए। रोग लक्षण एवं औषधि लक्ष्ण में जितनी समानता होगी, रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी।
सादगी से मनाये गये सैमुएल हैनिमैन के जयन्ती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा. आलोक रंजन वर्मा, डा. आर.एन. चौधरी, डा. वी.वी. मिश्रा, डा. प्रियांशी शर्मा, वीरेन्द्र चौधरी, विनय कुमार मौर्य, मनोज कुमार, डा. लालजी यादव, धु्रवचन्द्र, रीतेश चौधरी, रामभजन आदि समान दूरी बनाकर शामिल रहे।